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    SATAH SE UTHTA AADMI (1980)

    प्रयोगवाद और प्रगतिवाद…….निर्देशक मनी कौल और लेखक गजानन माधव मुक्ति बोध, दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में प्रयोगवाद और प्रगति वाद के मज़बूत स्तंभ है। ये फ़िल्म इन दोनों के कामों का वो मि श्रण है जो कि सी को भी बड़ा सुकून दे सकता है।

    सतह से उठा आदमी, एक ऐसी महत्वपूर्ण फ़िल्म है जो सिनेमा को महज़ मनोरंजन की श्रेणी से इतर, साहित्य की श्रेणी में डालता है। इस फ़िल्म की कहानी मुख्यतः मक्तिु बोध की कुछ चुनिंदा कविताओ, निबंधो और लघु कहानि यों पर आधारित है, जिसे मुख्यतः तीन किरदारों के आस पास बुनी गयी है। भरत गोपी ने रमेश का किरदार, जो की मुक्ति बोध का आत्मीय रूप है, बखूबी निभाया है। इसके अलावा माधव और केशव के किरदारों को भी बखूबी निभाया गया है। मूलतः इन कि रादारों के आपसी बातचीत, टिप्पणीया और स्टेजिंग ही इस फ़िल्म को इसका रूप प्रदान करती है।

    अकेलापन, आत्महत्या, अंतरद्वन्द और राजनीती जैसे विषयों को छूते हुए ये फ़िल्म मुक्ति बोध के अपने पर्सनल पोएटिक यूनिवर्स को एक्स्प्लोर करने की भरपूर कोशिश करती है। बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी, संगीत और मुक्ति बोध की कविता और अन्य कामों के वॉइसओवर से लैस ये फ़िल्म प्रयोगवादी हिंदी और भारतीय सिनेमा का मीलपत्थर है। किसी भी भारतीय सिनेप्रेमी के लिए ये एक बेहद महत्वपूर्ण और खूबसूरत फ़िल्म है।

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    Saurav Singh
    Saurav is an aspiring actor, writer and a hindi poet. He loves to explore art movies in his free time. You can follow him on twitter.

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